भारत और अमेरिका के बीच इस समय रिश्तों में हल्की तल्खी देखी जा रही है। इसकी मुख्य वजह बना है पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान, जिसमें उन्होंने दावा किया कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम में मध्यस्थता की थी।
भारत ने इस बयान को सिरे से नकारते हुए कहा है कि यह समझौता दोनों देशों की सेनाओं के सीधे संपर्क से हुआ था। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि यह भारत की सैन्य कार्रवाई ही थी, जिसने पाकिस्तान को संघर्षविराम के लिए मजबूर किया।
अब, इसी संदर्भ में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री और डिप्टी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पवन कपूर अमेरिका के दौरे पर हैं। उनका लक्ष्य है कि अमेरिकी प्रशासन के साथ संवाद कर भारत की स्थिति को साफ़ किया जाए।
भारत की प्रमुख चिंताएं
भारत को इस बात की चिंता है कि अमेरिका के कई अहम पद जो भारत से जुड़े मामलों को संभालते हैं, वे लंबे समय से रिक्त पड़े हैं। जैसे कि अमेरिका में भारत के लिए राजदूत, स्टेट डिपार्टमेंट में इंडिया डेस्क, और डिफेंस डिपार्टमेंट में नीति निर्धारक अधिकारी।
यह पद रिक्त रहने के कारण कई बार भारत-अमेरिका संवाद में रुकावटें आती हैं और गलतफहमियों की संभावना बढ़ती है।
TRUST पहल और COMPACT समझौता
पवन कपूर अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अधिकारियों से मिलकर TRUST (Transforming the Relationship Utilizing Strategic Technology) पहल को आगे बढ़ाएंगे। यह पहल पहले ICET (Initiative on Critical and Emerging Technologies) के नाम से जानी जाती थी।
यह दौरा प्रधानमंत्री मोदी की फरवरी 2025 में हुई अमेरिका यात्रा का भी फॉलोअप माना जा रहा है, जिसमें भारत और अमेरिका ने मिलकर COMPACT (Catalysing Opportunities for Military Partnership, Accelerated Commerce & Technology) नामक रणनीतिक योजना की घोषणा की थी।
आगामी सांसद प्रतिनिधिमंडल दौरा
भारत का एक नौ-सदस्यीय सांसद प्रतिनिधिमंडल 3 से 6 जून के बीच वॉशिंगटन दौरे पर होगा। यह प्रतिनिधिमंडल पहले न्यूयॉर्क, गुयाना, पनामा, ब्राज़ील और कोलंबिया की यात्रा करेगा।
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