भारतीय रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए टिकट बुकिंग सिस्टम को पूरी तरह से बदलने का फैसला किया है। अब ट्रेन का टिकट बुक करना सिर्फ एक क्लिक का खेल नहीं रह जाएगा, बल्कि इसके लिए कुछ जरूरी नियमों का पालन करना होगा — जिनमें आधार से लिंक और OTP वेरिफिकेशन सबसे अहम होंगे।
रेलवे के मुताबिक, नया सिस्टम दिसंबर 2025 तक पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा और इससे टिकट बुकिंग की प्रक्रिया और तेज़, पारदर्शी और सुरक्षित हो जाएगी।
टिकट बुकिंग अब और फास्ट — मिनटों में लाखों रिजर्वेशन संभव
अभी रेलवे का बुकिंग सिस्टम एक मिनट में करीब 32,000 टिकट प्रोसेस कर पाता है। लेकिन नए सिस्टम के आने के बाद यही संख्या बढ़कर 1.5 लाख टिकट प्रति मिनट हो जाएगी। यानी अब टिकट बुकिंग के दौरान स्लो वेबसाइट, अटकती प्रोसेस या सर्वर डाउन जैसी दिक्कतों से राहत मिल सकती है।
यही नहीं, अब एक मिनट में जहां 4 लाख सवाल-जवाब (search inquiries) हो पाते हैं, वहीं नए सिस्टम में 4 करोड़ से ज़्यादा क्वेरीज संभाली जा सकेंगी।
यात्रियों को मिलेंगी खास सुविधाएं
रेलवे ने बताया कि नया बुकिंग प्लेटफॉर्म कई भाषाओं में उपलब्ध रहेगा। इसके ज़रिए आप अपनी पसंद की सीट चुन सकेंगे, स्टूडेंट्स, मरीजों और दिव्यांग यात्रियों के लिए अलग-अलग ऑप्शन भी होंगे।
इसके अलावा किराए का एक fare calendar भी मिलेगा जिससे आप अलग-अलग दिनों में यात्रा का खर्च आसानी से देख पाएंगे।
वेटिंग टिकट वालों के लिए राहत भरी खबर
अब तक ट्रेनों के रिज़र्वेशन चार्ट ट्रेन चलने से 4 घंटे पहले तैयार किए जाते थे। लेकिन नई व्यवस्था में ये समय बढ़ाकर 8 घंटे पहले कर दिया जाएगा।
मतलब अगर ट्रेन सुबह 2 बजे चलती है तो उसका रिज़र्वेशन चार्ट पिछली रात 9 बजे ही बना दिया जाएगा। इससे वेटिंग लिस्ट में रह गए यात्रियों को तय वक्त से पहले जानकारी मिल जाएगी और वे आगे की प्लानिंग आसानी से कर पाएंगे।
तत्काल टिकट बुकिंग के नियम होंगे और सख्त
1 जुलाई 2025 से तत्काल टिकट के नियमों में भी बदलाव लागू होंगे। अब:
- हर तत्काल टिकट के लिए आधार कार्ड लिंक होना अनिवार्य होगा
- OTP आधारित वेरिफिकेशन की दो लेयर होंगी
- बिना आधार या DigiLocker से जुड़े किसी सरकारी ID के कोई टिकट नहीं कट सकेगा
- ये सिस्टम IRCTC वेबसाइट और मोबाइल ऐप, दोनों पर लागू रहेगा
ये कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि ब्रोकर या दलालों की ओर से की जाने वाली फर्जी बुकिंग पर रोक लगाई जा सके।
बदलाव क्यों ज़रूरी थे?
भारतीय रेलवे रोज़ाना करीब 2.3 करोड़ लोगों को सफर कराता है। इतनी बड़ी संख्या को संभालना सिर्फ ट्रेन चलाने से नहीं, बल्कि टिकटिंग सिस्टम को मजबूत और स्मार्ट बनाने से ही संभव है।
आज जब हर काम मोबाइल और इंटरनेट के ज़रिए हो रहा है, ऐसे में रेलवे का ये नया सिस्टम डिजिटल इंडिया की सोच को भी आगे बढ़ाता है।
अंतिम बात
रेलवे का ये कदम सिर्फ एक तकनीकी अपग्रेड नहीं, बल्कि एक सोच का हिस्सा है — जहां हर यात्री को बेहतर, तेज़ और सुरक्षित सेवा मिले।
अगर ये बदलाव सही तरीके से लागू होते हैं, तो आने वाले वक्त में टिकट बुकिंग एकदम स्मूद और फेयर प्रोसेस बन जाएगी।
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