नई दिल्ली/वॉशिंगटन:
भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से चल रही व्यापार बातचीत अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही है। व्हाइट हाउस की ताज़ा टिप्पणी से संकेत मिल रहे हैं कि दोनों देशों के बीच जल्द ही एक बड़ा समझौता हो सकता है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने सोमवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक अहम रणनीतिक साथी बताया और कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच काफी अच्छे संबंध हैं। उनके मुताबिक, दोनों देशों की व्यापारिक टीमें अंतिम दौर की बातचीत में जुटी हुई हैं और जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा की जा सकती है।
प्रेस सचिव ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप पहले भी साफ कर चुके हैं कि अमेरिका और भारत व्यापार समझौते के काफी करीब हैं। मैंने खुद वाणिज्य सचिव से बात की है। वे ओवल ऑफिस में राष्ट्रपति के साथ मौजूद थे और बातचीत को अंतिम रूप देने का काम चल रहा है।”
भारत की अहमियत पर फिर ज़ोर
चीन को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में लेविट ने एक बार फिर भारत की अहम भूमिका पर ज़ोर देते हुए कहा, “एशिया-पैसिफिक में भारत अमेरिका का एक अहम साझेदार है। राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम मोदी के बीच जिस तरह का तालमेल है, वह आगे भी जारी रहेगा।”
इन बयानों का वक्त भी खास है, क्योंकि इस समय विदेश मंत्री एस. जयशंकर अमेरिका दौरे पर हैं और वहां QUAD देशों की बैठक में हिस्सा ले रहे हैं। क्वाड – जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में खुले और स्वतंत्र माहौल को बढ़ावा देने के मकसद से काम कर रहा है।
ट्रंप आएंगे भारत
18 जून को यह पुष्टि हो चुकी है कि पीएम मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को अगले क्वाड सम्मेलन के लिए भारत आने का न्योता दिया है, जिसे ट्रंप ने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री के मुताबिक, ट्रंप ने कहा है कि उन्हें भारत आने की बेहद उत्सुकता है।
व्यापार वार्ता में तेजी
इसी माह की 26 तारीख को भारत और अमेरिका के बीच एक और दौर की व्यापारिक बातचीत शुरू हुई है। यह बैठक इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि अमेरिका ने 9 जुलाई से 57 देशों से होने वाले आयात पर विशेष शुल्क लगाने की योजना बनाई है, जिसमें भारत भी शामिल है।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विशेष सचिव राजेश अग्रवाल कर रहे हैं। यह दो दिवसीय बैठक वॉशिंगटन में हो रही है, जहां दोनों पक्ष एक “अर्ली हार्वेस्ट डील” को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। यह डील सितंबर या अक्टूबर तक होने वाले बड़े समझौते की नींव बन सकती है।
भविष्य में, दोनों देश एक पूर्ण मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की दिशा में बढ़ना चाहते हैं, जिसका उद्देश्य 2030 तक आपसी व्यापार को $500 अरब तक पहुंचाना है।
अटके हुए मुद्दे और उम्मीदें
सूत्रों के अनुसार, ज़्यादातर तकनीकी मुद्दों पर सहमति बन चुकी है। अब कुछ राजनीतिक निर्णय लिए जाने बाकी हैं। हालांकि, दो बड़े मसलों पर अब भी असहमति बनी हुई है, जो अंतिम डील की राह में अड़चन बन सकते हैं।
भारत की प्रमुख मांगों में अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम पर लगाए गए भारी शुल्क को हटाना शामिल है। इसके अलावा, ऑटोमोबाइल्स और उनके पार्ट्स पर लागू 25% शुल्क को भी भारत अनुचित मानता है। ये सारे शुल्क इस वक्त WTO में चुनौती का सामना कर रहे हैं। बदले में भारत चाहता है कि अमेरिका “मोस्ट फेवर्ड नेशन” के तहत दिए जा रहे टैरिफ में कटौती करे।
निष्कर्ष
साफ है कि भारत और अमेरिका, दोनों ही इस समय व्यापारिक रिश्तों को नई दिशा देने की तैयारी में हैं। नेताओं के बीच आपसी तालमेल और कूटनीतिक सक्रियता यह संकेत दे रही है कि आने वाले कुछ हफ्तों में कोई बड़ी घोषणा हो सकती है।
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