iCloud को लेकर घिरी Apple, अमेरिका में मुकदमा तय – जानिए क्या है पूरा मामला

टेक्नोलॉजी दिग्गज Apple पर अब अमेरिका में बड़ा मुकदमा चलेगा। आरोप है कि कंपनी ने अपने iPhone यूज़र्स को जबरन iCloud इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया और उन्हें किसी भी अन्य क्लाउड सर्विस का विकल्प नहीं दिया।

कैसे शुरू हुआ विवाद?

दरअसल, एक क्लास-एक्शन मुकदमे में कहा गया है कि Apple ने अपने डिवाइसेज़ की ऐसी सेटिंग्स बना रखी हैं कि यूज़र्स चाहकर भी फुल बैकअप किसी दूसरी सर्विस पर नहीं ले सकते। फ़ोटो, वीडियो और डॉक्यूमेंट्स जैसी चीजें तो फिर भी किसी और सर्विस पर सेव की जा सकती हैं, लेकिन जब बात आती है ऐप की सेटिंग्स या पूरे फोन की कॉन्फ़िगरेशन की – तो वहां सिर्फ iCloud ही एकमात्र रास्ता बचता है।

कोर्ट में क्या हुआ?

शुरुआत में ये मुकदमा खारिज कर दिया गया था। अदालत ने कहा कि पहले दी गई शिकायत में ठोस जानकारी नहीं थी। लेकिन जब शिकायतकर्ताओं ने केस में कुछ और सबूत और विवरण जोड़कर दोबारा अर्जी दी, तो जज ने Apple की अपील को खारिज कर दिया और केस को आगे बढ़ाने की मंजूरी दे दी।

Apple का जवाब

Apple ने खुद को बचाते हुए कहा कि ये कोई ज़बरदस्ती नहीं, बल्कि सुरक्षा और गोपनीयता का मसला है। कंपनी का कहना है कि उन्होंने जानबूझकर थर्ड पार्टी ऐप्स को फुल बैकअप की अनुमति नहीं दी ताकि यूज़र्स का निजी डेटा सुरक्षित रहे। उनके अनुसार, ये फीचर किसी व्यवसायिक फायदे के लिए नहीं, बल्कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।

क्या है शिकायत करने वालों की दलील?

मुकदमा करने वालों का साफ़ कहना है कि Apple का ये रवैया “बाज़ार में एकाधिकार” (Monopoly) जैसा है। कंपनी खुद iPhone बेचती है, क्लाउड सर्विस भी उसी की है, और यूज़र्स के पास कोई और विकल्प नहीं छोड़ा गया। ऐसे में iCloud के ज़रिए कंपनी न सिर्फ सबसे ज़्यादा मुनाफा कमा रही है, बल्कि यूज़र्स को अपनी मनमानी कीमतें चुकाने पर मजबूर कर रही है।

आगे क्या होगा?

अब कोर्ट की मंजूरी के बाद मुकदमा अपने अगले पड़ाव पर जाएगा। इसमें Apple को ये साबित करना होगा कि उनका सिस्टम सच में यूज़र सुरक्षा के लिए बना है या फिर यह रणनीति केवल अपनी क्लाउड सर्विस को बढ़ावा देने के लिए है।

अगर मुकदमे में शिकायतकर्ताओं की जीत होती है, तो भविष्य में iPhone यूज़र्स को बैकअप के लिए कई और क्लाउड सर्विसेज़ का विकल्प मिल सकता है। साथ ही, बाजार में कंपटीशन भी बढ़ेगा जिससे सर्विस बेहतर और किफायती हो सकती है।

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