संगारेड्डी (तेलंगाना) के पाशमायलारम इंडस्ट्रियल एरिया में सोमवार सुबह जो मंजर सामने आया, वो किसी डरावने सपने से कम नहीं था। सिगाची इंडस्ट्रीज़ की एक दवा फैक्ट्री में जबरदस्त विस्फोट हुआ, जिससे आसमान तक धुआं और चीखें गूंज उठीं। कुछ ही मिनटों में सबकुछ तबाह हो गया।
धमाके की आवाज़ दूर तक सुनाई दी, मज़दूर उड़कर गिरे सौ मीटर दूर
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, धमाके की गूंज इतनी भयानक थी कि मज़दूर हवा में उछलकर इधर-उधर जा गिरे। किसी को पहचान पाना भी मुश्किल हो गया। करीब 42 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और रेस्क्यू टीम अब भी मलबे से शव निकाल रही है।
स्थानीय लोग बताते हैं कि कई मज़दूर ओडिशा, यूपी और बिहार से आए थे। रोज़ की तरह काम शुरू हुआ था, लेकिन किसी को अंदाज़ा नहीं था कि ये दिन इतना खौफनाक साबित होगा।
स्वास्थ्य मंत्री और MLA दोनों ने जताई चिंता
तेलंगाना के स्वास्थ्य मंत्री दामोदर राजनारसिम्हा मौके पर पहुंचे और बताया कि जब विस्फोट हुआ तब करीब 90 कर्मचारी फैक्ट्री में मौजूद थे। उन्होंने कहा कि कई मज़दूरों को इतनी ज़ोर से उछाल कर फेंका गया कि वो 100 मीटर दूर तक जा गिरे।
वहीं पटनचेरु के विधायक महिपाल रेड्डी ने कंपनी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा,
“यह फैक्ट्री बिना किसी सुरक्षा उपाय के चल रही थी। कई ज़िंदगियां चली गईं और ऐसा लगता है कि प्रबंधन असल मौतों की संख्या छुपा रहा है।”
कंपनी का बयान और उत्पादन पर रोक
धमाका सुबह 9:20 बजे के आसपास हुआ। सिगाची इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड की यह यूनिट माइक्रोक्रिस्टलाइन सेलुलोज़ (MCC) बनाने का काम करती है, जिसका इस्तेमाल दवाओं, फूड प्रोडक्ट्स और कॉस्मेटिक्स में होता है।
कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज को जानकारी दी कि
“फैक्ट्री का उत्पादन अब 90 दिनों के लिए बंद रहेगा। कई मशीनें और स्ट्रक्चर क्षतिग्रस्त हुए हैं, और हम अपनी टीम की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं।”
चारों ओर फैला धुआं, लोग घबराकर घरों से निकले
विस्फोट के तुरंत बाद पूरी यूनिट में आग लग गई और घना धुआं इलाके में फैल गया। आसपास के लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी, जिससे प्रशासन को उन्हें एहतियातन बाहर निकालना पड़ा। कुछ लोग तो अपने बच्चों को उठाकर खुले मैदानों की ओर भागते नज़र आए।
NDRF और फायर टीम मौके पर जुटी, अब भी मलबे में फंसे हो सकते हैं लोग
तेलंगाना डिजास्टर रिस्पॉन्स और फायर सर्विस के प्रमुख वाई नागी रेड्डी ने बताया कि
“यह हादसा MCC के ड्राइंग सेक्शन में हुआ। अब तक यह साफ नहीं है कि मलबे के नीचे कितने लोग फंसे हुए हैं।”
रेस्क्यू टीम जेसीबी और मशीनों की मदद से मलबा हटाने में जुटी है। लेकिन जिस तरह से पूरा शेड ध्वस्त हुआ है, उससे लगता है कि नुकसान बहुत बड़ा है।
🔚 अंत में सवाल यही – क्या ये हादसा रोका जा सकता था?
हर बार की तरह एक बार फिर सवाल उठता है – क्या ये हादसा टाला जा सकता था?
अगर सुरक्षा के इंतज़ाम होते, अगर मशीनों की निगरानी ठीक से होती — तो शायद आज ये दर्दनाक खबर ना बनती।
अब देखना ये है कि क्या सरकार और कंपनी इस हादसे से सबक लेती हैं या फिर हमेशा की तरह कुछ मुआवज़ा देकर इस अध्याय को बंद कर दिया जाएगा।
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