न्यू जर्सी | 1 जुलाई
Apple के लिए अमेरिका से एक और झटका आया है। अमेरिकी सरकार द्वारा दर्ज मोनोपॉली केस (एकाधिकार का मामला) को खारिज कराने की एप्पल की कोशिश कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दी है। यानी अब इस मामले में सुनवाई जारी रहेगी, और यह लड़ाई लंबी चलने वाली है।
यह मुकदमा अमेरिका के न्याय विभाग (DOJ) ने मार्च 2024 में दाखिल किया था, जिसमें आरोप था कि Apple अपने iPhone यूज़र्स को जानबूझकर अपने सिस्टम में बांधे रखता है और अन्य कंपनियों को टक्कर देने का मौका नहीं देता।
कोर्ट ने क्या कहा?
जज जूलियन नील्स, जो इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं, उन्होंने साफ कर दिया कि मामले के तथ्यों को देखते हुए इसे सीधा खारिज नहीं किया जा सकता। यानी अब Apple को कोर्ट में जाकर इस मामले का सामना करना होगा।
जज का कहना था कि Apple पर जो आरोप लगे हैं — जैसे कि तीसरे पक्ष के ऐप डेवलपर्स को सीमित करना, या फिर दूसरी डिवाइसेज़ जैसे स्मार्टवॉच और डिजिटल वॉलेट्स के साथ इंटीग्रेशन में बाधा डालना — ये सब वो बिंदु हैं जिन पर न्यायिक जांच ज़रूरी है।
Apple ने क्या तर्क दिए थे?
Apple की दलील थी कि उसका पूरा सिस्टम यूज़र की सुरक्षा और बेहतर अनुभव के लिए तैयार किया गया है।
उसने कहा,
“अगर हमें जबरन अपनी तकनीक दूसरों के साथ साझा करने के लिए मजबूर किया गया, तो इससे इनोवेशन थम जाएगा।”
Apple का दावा है कि उसके द्वारा लगाए गए प्रतिबंध वाजिब और ज़रूरी हैं, लेकिन कोर्ट को ये बात फिलहाल स्वीकार नहीं हुई।
DOJ का पक्ष क्या है?
न्याय विभाग का कहना है कि Apple ने:
- अपनी App Store नीतियों के ज़रिए ऐप डेवलपर्स को अनावश्यक शुल्क और प्रतिबंधों में जकड़ रखा है
- प्रतिस्पर्धा को खत्म करने के लिए तकनीकी दीवारें खड़ी की हैं
- स्मार्टफोन मार्केट पर अवैध तरीके से नियंत्रण बना रखा है
DOJ ने यह भी कहा कि Apple को ऐसी नीतियां लागू करने से रोका जाना चाहिए, क्योंकि इससे उपभोक्ताओं के पास विकल्प सीमित हो जाते हैं।
Apple के लिए यह लड़ाई आसान नहीं
Apple के एक प्रवक्ता ने बयान में कहा,
“हमें विश्वास है कि हमारे खिलाफ लगाए गए आरोप तथ्यों और कानून — दोनों के हिसाब से गलत हैं। हम अदालत में मजबूती से अपना पक्ष रखेंगे।”
लेकिन यह भी साफ है कि यह सिर्फ एक कंपनी के खिलाफ केस नहीं है — यह एक बड़ा संकेत है कि टेक्नोलॉजी कंपनियों के बढ़ते वर्चस्व पर अमेरिका अब सख्ती से नजर रख रहा है।
Big Tech कंपनियों पर बढ़ता दबाव
Apple अकेली कंपनी नहीं है जो इस तरह के कानूनी शिकंजे में फंसी है।
- Meta (Facebook) पर भी अमेरिकी एजेंसियां मोनोपॉली केस चला रही हैं
- Amazon और Google (Alphabet) के खिलाफ भी इस तरह के दो मुकदमे जारी हैं
यह सारे केस दिखाते हैं कि अमेरिका अब Big Tech को उसी के खेल के मैदान में चुनौती देने के लिए तैयार है।
iPhone की पकड़ क्यों है मुद्दा?
Apple का iPhone दुनिया का सबसे ज़्यादा बिकने वाला स्मार्टफोन है।
- 2024 में इसकी बिक्री $201 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई
- फरवरी में कंपनी ने एक नया बजट मॉडल भी लॉन्च किया, जिसकी कीमत पुराने मॉडल से $170 ज़्यादा थी
DOJ का तर्क है कि Apple ने इस सफलता को पाने के लिए प्रतिस्पर्धा को बाधित किया, ना कि सिर्फ बेहतर प्रोडक्ट बनाए।
🔚 अब नज़रें इस बात पर हैं कि कोर्ट इस लड़ाई में किस दिशा में बढ़ता है
Apple दुनिया की सबसे ताकतवर टेक कंपनियों में से एक है। लेकिन आज यह सवाल सामने खड़ा है — क्या टेक्नोलॉजी की ताकत बाजार की स्वतंत्रता पर भारी पड़ सकती है?
यह केस सिर्फ Apple बनाम सरकार नहीं है — यह एक संकेत है कि आम उपभोक्ता के अधिकार, प्रतिस्पर्धा की खुली ज़मीन, और तकनीकी पारदर्शिता अब चर्चा के केंद्र में हैं।
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