नई दिल्ली। पड़ोसी देश बांग्लादेश में बढ़ती राजनीतिक उथल-पुथल और सरकारी कर्मचारियों के व्यापक विरोध-प्रदर्शनों के बीच भारत ने वहां की अंतरिम सरकार से जल्द और निष्पक्ष चुनाव कराने की अपील की है।
भारत का कहना है कि चुनावों में जनता की हिस्सेदारी ज़रूरी है और बांग्लादेश को अपने लोगों की आवाज़ को गंभीरता से सुनना चाहिए।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने गुरुवार को प्रेस वार्ता में साफ कहा, “हमने लगातार इस बात पर ज़ोर दिया है कि बांग्लादेश में ऐसे चुनाव कराए जाएं जो स्वतंत्र हों, निष्पक्ष हों और सभी तबकों की भागीदारी से हों। यह ज़रूरी है ताकि जनता का असली जनादेश सामने आ सके।”
विरोध से घिरी यूनुस सरकार
बांग्लादेश में इस वक्त अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस की अगुवाई में एक अंतरिम सरकार काम कर रही है। लेकिन हाल के दिनों में इस सरकार के खिलाफ माहौल गरमाता जा रहा है।
सरकारी कर्मचारियों ने हाल में एक अध्यादेश का ज़ोरदार विरोध किया है, जिसके तहत प्रशासन मंत्रालय को अधिकार दिया गया कि वह बिना किसी लंबी जांच-पड़ताल के किसी भी कर्मचारी को बर्खास्त कर सकता है। इसका असर यह हुआ कि सैकड़ों शिक्षक छुट्टी पर चले गए और कई विभागों में कामकाज ठप हो गया।
इसी बीच, पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी BNP और बांग्लादेश की सेना ने इस बात की ज़ोरदार मांग की है कि चुनाव दिसंबर 2025 तक करा लिए जाएं। दूसरी ओर यूनुस का कहना है कि चुनाव जून 2026 से पहले संभव नहीं क्योंकि पहले कुछ ज़रूरी सुधार लागू करने हैं।
भारत ने दिया सधी हुई प्रतिक्रिया
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह सामने आया कि यूनुस ने भारत पर ‘हस्तक्षेप’ का आरोप लगाया और कहा कि बांग्लादेश की असली समस्या भारत का प्रभाव है। इस पर भारत ने बेहद संयमित लेकिन स्पष्ट जवाब दिया।
जायसवाल ने कहा, “अगर कोई सरकार अपनी जिम्मेदारियों से ध्यान भटकाना चाहती है तो वह दूसरों पर आरोप लगाने लगती है। लेकिन इससे उनके आंतरिक मसले हल नहीं होते। बांग्लादेश की सरकार को अपने घरेलू मामलों को खुद सुलझाना होगा।”
भारत ने यह भी साफ कर दिया कि वह बांग्लादेश के साथ एक मजबूत, सकारात्मक और पारस्परिक हितों पर आधारित रिश्ता चाहता है — जिसमें दोनों देशों की जनता की भलाई को केंद्र में रखा जाए।
भारत-बांग्लादेश रिश्तों में आई खटास
बीते साल अगस्त में जब प्रधानमंत्री शेख हसीना बड़े पैमाने पर विरोधों के बाद ढाका से भारत आईं, तब से दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव देखा गया है। भारत ने आरोप लगाया कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासतौर पर हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा बढ़ी है, जिसे अंतरिम सरकार रोकने में नाकाम रही है। हालांकि यूनुस ने इन आरोपों को “बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया” बताया।
फिलहाल, बांग्लादेश की सियासत उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है और भारत की नज़र इस पर लगातार बनी हुई है। अब देखना यह है कि यूनुस सरकार जनता के आक्रोश और अंतरराष्ट्रीय दबाव को कैसे संभालती है और लोकतंत्र की ओर अगला कदम कब उठाया जाता है।
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